माहुरगड के नाम से जाना जाने वाला माहूर गांव महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में नादेड़ जिले के किनवट शहर से 40 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में बसा है. पहले माहौर एक बड़ा शहर था और दक्षिणी बेरार का एक सूबा भी. यहां सह्याद्रि पहाड़ियों के पूर्वी छोर पर स्थित है एक पुराना किला जिसे माहूर किले के नाम से जाना जाता है.
माहुरगड Photos
माहुरगड Photos
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Mahurgad |
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यह किला बहुत पुराना है. ऐसा माना जाता है कि इस किले का अस्तित्व यादवों के शासन काल में आया. इसके बाद इस किले पर कई शासकों ने राज किया जिनमें गोंडा, ब्राह्मण, आदिलशाही और निजामशाही ने शासन किया. सबसे अंत में मुगलों और उनकी जागीरदारों का इस पर शासन रहा. यह किला तीनों ओर से पैनगंगा नदी के घिरा हुआ है.
यह किला आसपास स्थित दो पहाड़ियों के शिखर पर बना है. इसमें दो मुख्य द्वार हैं- एक दक्षिण की ओर है और दूसरा उत्तर की ओर. किले की हालत अब दयनीय हो गई है. लेकिन उत्तर की दिशा वाला द्वार फिर भी ठीक-ठाक स्थित में है. किले के अंदर एक महल, एक मस्जिद, एक अन्नभंडार, एक शस्त्रागार आदि बने हुए हैं हालांकि अब ये खंडहर हो चुके हैं. किले के मध्य में एक बड़ा सा टैंक है जिसे आजला तालाब कहते हैं.
डेक्कन के उत्तर से मुख्य रास्ते पर स्थित होने के कारण माहुरगड का एक लंबा इतिहास है. यहां बहुत सारे ऐसे प्रमाण हैं जो ये दिखाते हैं कि माहूर जिसे पहले में मातापुर कहते थे सतवंश और राष्ट्रकूट के समय एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान था. पास की पहाड़ी पर यादव नरेश ने रेणुका मंदिर का निर्माण कराया.
गोंड शासन की समाप्ति के बाद, 15वीं सदी में माहूर ब्राह्मणों के कब्जे में आ गया और उन्होंने एक ‘सूबा’ बनाया. 16वीं शताब्दी में सामरिक दृष्टि से मुख्य केंद्र बने माहूर में निजामशाही और आदिलशाही और इमादशाही शासकों के बीच झड़प होनी शुरू हो गई.
इसके बाद सत्रहवीं सदी के शुरुआत में माहौर मुगल शासकों को हिस्सा हो गया और अपने सूबेदारों की बदौलत वे शासन करने में सफल रहे.
जब शाहजहां ने अपने पिता जहांगीर के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिए तो उसने माहौर किले में पत्नी और बच्चों के साथ शरण ली. इसमें शाहजहां का 6 साल का बेटा औरंगजेब भी साथ था.
क्या-क्या देखें-
माहुरगड रेणुका देवी
माहुरगड गांव से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर रेणुका देवी का मंदिर है जो एक पहाड़ी पर बना हुआ है. इस मंदिर की नीव देवगिरी के यादव राजा ने लगभग 800 साल पहले डाली थी. दशहरा के अवसर पर यहां एक पर्व आयोजित किया जाता है और देवी रेणुका की पूजा की जाती है. देवी रेणुका परशुराम की मां और भगवान विष्णु का अवतार मानी जाती हैं. मंदिर के चारों तरफ घने जंगल हैं. जंगली जानवरों को यहां घूमते हुए देखा जा सकता है.
माहुरगड गांव से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर रेणुका देवी का मंदिर है जो एक पहाड़ी पर बना हुआ है. इस मंदिर की नीव देवगिरी के यादव राजा ने लगभग 800 साल पहले डाली थी. दशहरा के अवसर पर यहां एक पर्व आयोजित किया जाता है और देवी रेणुका की पूजा की जाती है. देवी रेणुका परशुराम की मां और भगवान विष्णु का अवतार मानी जाती हैं. मंदिर के चारों तरफ घने जंगल हैं. जंगली जानवरों को यहां घूमते हुए देखा जा सकता है.
कैसे पहुंचेः-
सड़क मार्ग- माहुरगड किला महाराष्ट्र के नांदेड जिले में स्थित है और यह आसपास के अनेक शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. माहूर किले तक बस से पहुंचने के लिए सबसे पास का बस स्टेशन माहौर है. माहौर बस स्टेशन से 2 किलोमीटर दूर राष्ट्रकूट काल के समय के पहाड़ी को काटकर बनाए गए दो हाथीनुमा गुफा देखने को मिलते हैं. राज्य परिवहन की बसें और अनेक निजी वाहन मुंबई, पुणे, हैदराबाद आदि शहरों से नांदेड के लिए नियमित रूप चलती हैं.
रेल मार्ग
इसके अलावा सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन किनवट (Kinwat) है. इसके अलावा नांदेड रेलवे स्टेशन मुंबई, पुणे, बंगलुरू, दिल्ली, अमृतसर, भोपाल, इंदौर, आगरा, हैदराबाद, जयपुर, अजमेर, औरंगाबाद और नासिक आदि शहरों से रेलगाड़ियों के माध्यम से सीधा जुड़ा हुआ है.
इसके अलावा सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन किनवट (Kinwat) है. इसके अलावा नांदेड रेलवे स्टेशन मुंबई, पुणे, बंगलुरू, दिल्ली, अमृतसर, भोपाल, इंदौर, आगरा, हैदराबाद, जयपुर, अजमेर, औरंगाबाद और नासिक आदि शहरों से रेलगाड़ियों के माध्यम से सीधा जुड़ा हुआ है.
वायु मार्गहवाई जहाज से यहां पहुंचने के लिए सबसे निकट हवाई अड्डा नांदेड़, मुंबई और नागपुर हवाई अड्डा है.
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